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पानी और आयुर्वेद (भाग २)

पानी और भोजन का संबंध –
भक्तस्यादौ जल पितमंग्निसादं कृशाड्ञताम ।।

… उन्ते करोती स्थुलत्वं ऊर्ध्व चामाशायात्कफम ।

_* मध्ये मध्यान्गताम साम्यं धातूनाम जरण्म सूखम ।। अ.स.सु 
 यदि मनुष्य भोजन के पहले पानी पिता है तो उससे जाठराग्नि मंद हो जाती है, भोजन का अछे
से पचन नहीं होता है और मनुष्य कृश रहता है।

 यदि मनुष्य केवल भोजन के बाद पानी पिता है तो वहं स्थुल रहता है और शरीर में कफ की

वृद्धी होती है।

और जो मनुष्य खाना खाते समय थोडा थोडा पानी पिता है , तो उसका शरीर पुष्ट , धातु

‘साम्य रहता है और उत्तम आरोग्य बना रहता है।

 टसलियें मनुष्य ने भोजन खाने के पहले १ घंटा और भोजन खाने के बाद २ घंटा पानी नहीं
पीना चाहिय |

 अगर मनुष्य ने भोजन के पहले पानी पीया, तो जाठराग्नी मंद होकर मनुष्य अपने शरीर की
अपेक्षा कम भोजन करता है और भोजन का पचन भी नहीं होता इसलिय वह कृश रहता है।

 अगर मनुष्य ने भोजन करते समय पानी नहीं पीया तो वह शरीर के अपेक्षा अतिमात्रा में
भोजन करता है इसलिय वह स्थूल रहता है।